ज्योतिष कर्मकांड (पुजा-पाठ) और लोक मंगलकारी श्रीमदभागवत ज्ञानकथा - अन्य महापुराणों के अधिकार रखनेवाले पं. नरसिंह महाराज व्यास का जन्म २५ जनवरी १९६८ को बीकानेर (राजस्थान) में हुआ I वैष्णव व्यास परिवार में प्रारंभ से ही आध्यात्मिक जीवन द्रुष्टि से सम्पन्न - पोषण और परिपालन होने के कारण बचपन मे ही (मेरा) मन अपनी प्राचीन संस्कृति, परंपरा और धर्मशीलता - एवं जीवन को मार्गदर्शन देनेवाले ग्रंथो के प्रति आदर सम्पन हुआ I आत्मज्ञान और ज्ञान के लोक विकास के लिए ९ वर्ष की आयु में ज्योतिष कर्मकांड (पुजा - पाठ ) का अध्ययन ( पिताश्री सत्यनाराण जी व्यास ) से किया. तंत्र - मंत्र - यंत्र - रसायन विद्या का ज्ञान परम पूज्य (दादाजी) स्व. पं. चैनुमहाराजजी से किया I
प.पू.स्व.पं. राधाकृष्णजी औझा - फिर शिवलोकवासी (प.पू.गुरुदेव) श्री.श्री. १००८ आचार्य महामंडलेश्वर पंच पीठधीश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद (भारती) से कुछ व्याकरण संस्कृत ज्ञान प्राप्त किया I उनके संस्कृत विद्यालय में भी स्व. पं. काशीनाथजी औझा से ज्ञान प्राप्त किया I फिर ज्योतिष में गणित फलित का ज्ञान पं.पू.स्व.पं. लक्ष्मीनारायणजी मादाणी ( इक्कीसिया महाराज ) से प्राप्त किया I फिर प्राप्ती के बाद जंगलो मे बगीचों मे रहकर साधु संतो के पास रहकर कुछ ज्ञान हासिल किया I
फिर उनके आशीर्वाद से मुंबई आना हुआ अभी वर्तमान मे २९ - ३० साल से मुंबई में ज्योतिष कर्मकांड ( पुजा पाठ ) पुराण भागवत कथा के माध्यम से आधुनिक काल के संश्लिस्ट जीवन में संस्कृति परंपरा का पुनः प्रतिपादन करने के लिए अपने आप को तैयार किया है I मेरे व मेरे कुछ धर्मशील व्यक्तियों के लिए वरदान उस समय सिद्ध होगा जब विश्व के हर शहर में हर गांव में हर घर घर में लोगो को ज्योतिष वास्तु पूजापाठ यज्ञो से कथ प्रवचनो से प्रकाश मिलेगा I वर्तमान जीवन में विसंगतीयो से युक्त मनुष्योको धर्मशीलता का मार्ग दिखेगा I ऊँचे ज्ञानी व्यक्ति का परिचय ऊँचे खानदान वंश स्थान देश काल से मुक्त होता है I
हिंदी में सरल सूक्ष्म (ज्योतिष वास्तु पंचांग) का सर्वागीण सुन्दर रुप से संस्करण गागर में सागर भरने का प्रयास है I कुछ ज्योतिष वास्तु भगवद्प्रेमी भक्तो ने इसका समादर किया है Iऔर मेरे परिश्रम को सफल किया है I जिसके परिणाम स्वरुप पंचम संस्करण प्रकाशित हुआ I (षष्ठ की तयारी है) नीर छीर विवेकी पाठको पर छोड़ता हूँ I
प्रस्तुतः प्रयास की सफलता में सर्व प्रथम में भगवन कशी विश्वनाथ एवं ठंगाल भैरव और श्री कृष्ण स्वरुप श्रीमद भागवत के समक्ष नतमस्तक हूँI मेरा विश्वास है की, इनका ही बल मुझ जैसे निर्बल के लिए इस (बहुजन सुखाय बहुजन हिताय) कार्य में सहायक हुआ है I
विद्वन्मुर्धन्य तपोमूर्ति बुज़ुर्गो (बड़ो) का बड़े मित्रो का में अत्यंत कृतज्ञ हूँ जिन्होंने बहुमूल्य (सलाह) संमती प्रदान कर मेरा उत्साह बढ़ाया है I
अंत में में अपने उन सभी (शुभचिंतको) से सुहृदयो के प्रति आभार प्रगट करता हूँ जो मेरे सब कार्य में सहायता तन मन धन से करते है I अब कुछ बड़े यज्ञ कथा प्रवचन एवं सार्वजनिक कार्य करने की इच्छा है I उन कार्यो में आप लोगो का सहयोग ही मेरी साधना की सफलता होगी जो जान कल्याण की कामना से है I
राजस्थान में बीकानेर शहर छोटी काशी कहा जाता हे I यहाँ सभी धर्मो के लोग रहते आये हे I वैदिक विद्वानों की नगरी हे I
आप स्व:पं.श्री बींजराज जी के सुपुत्र थे I
आप ज्योतिष कर्मकांड प्रकाण्ड विद्वान थे I
(घंटाकर्ण एवं हनुमान के उपासक थे)
स्व:पं.गौरधनदास जी व्यास के सुपुत्र आपका जन्म वि.सं.१९५९ चैत्रसुदी एकम को हुआ आपने व्याकरण कर्मकांड - पुराण - अपने गुरु गंगा रामजी व्यास से ज्ञान प्राप्त किया कई संतो महात्माओ से तंत्र, मंत्र, यन्त्र एवं रसायन विद्या का अच्छा ज्ञान हासिल किया था I श्रीमद भागवत पढ़ने के बाद जीवन बदला I फिर हर जीव मात्र में प्रभु का दर्शन करते थे और मनुष्य, पशु, पक्षी, कीट, पतंग, की तन, मन, धन से सेवा की I एक कुटीया में महान संत की तरह जीवन व्यतीत किया I फिर वि.सं. २०५१ श्रावण शुक्ल पक्ष १४ को शिव लोक प्रस्थान कर गए I
आप स्व:पं. चैनसुखदासजी के सुपुत्र हे I आपका जन्म वि.सं. १९८८ माघ वदि १२ को हुआ आपने संस्कृत - व्याकरण - साहित्य एवं श्रीमद भागवत का अध्ययन पूज्य गुरुदेव स्व: पं. गोविन्दलालजी व्यास से प्राप्त किया I ज्योतिष कर्मकांड का अध्ययन पूज्य गुरुवार स्व: पं. राज ज्योतिषी हरिनारायणजी से किया I आपने १७ - १८ वर्ष की उम्र में (मईजी) प्रथम भागवत कथा कलकत्ता मे रहकर श्रोताओ को मंत्र मुग्ध किया - फिर ४० वर्ष कलकत्ता रहे I वैष्णव व्यास परिवार मे प्रारंभ से ही आध्यात्मिक जीवन दृष्टी से संम्पन थे I ज्योतिष कर्मकांड और भागवत जगत के लोगो को ज्ञान - मार्गदर्शन दे रहे है I हिंगण घात - नागपुर - रायपुर - अमरावती - मुंबई आदि के मनुष्यो को धर्मशीलता का मार्ग दिखाया हे I