सत्यनारायण पूजा, सूर्य पूजा, नामकरण संस्कार, नक्षत्र एवं गंदमूल शांति, गृह प्रवेश, वास्तुशांति, गृहशांति, सभी मारवाड़ी के शादी विवाह, महामृत्युंजय जाप, रुद्राभिषेक, शिवपूजा, दुर्गापूजा, नवचंडी पाठ, शतचंडी पाठ यज्ञ, बगुलामुखी अनुष्ठान, दीपावली पूजन सभी पूजा के अनुष्ठान विधि से कराये जाते हैं |
नोट :- सभी प्रकार की पूजा की सुचिया हैं | सभी प्रकार के पूजा, संगीतमय विवाह प्रवेश के लेटेस्ट फोटो और विडीयो देखने सुनने के लिए संपर्क करे |
* हिन्दू दर्शन में प्रभु घट घट व्यापी हे . उस प्रभु की पूजा करना. प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य हे. पूजा विधी का बोध हमे कर्मकांड से होता हे |
* सब देवी देवताओ की पूजा करना - साधना करना यज्ञ करना मंत्रानुष्ठान करना - ये सब कर्मकांड अंतर्गत हे |
* बड़ी बड़ी विपत्तिया दुःस्वप्न - अकाल मृत्यु बड़े बड़े रोग भयंकर कर्जा इन सब में मंत्रानुष्ठान से सफलता एवं सिद्धि मिलती हे .यह विश्व मंत्र आबद्ध हे |
* जीवन में मंत्रो के बिना मनुष्य के अस्तित्व की कल्पना नहीं हो सकती धरती का अणु अणु मंत्र बद्ध हे . जीवन को पूर्ण समझने के लिए
पूजा - मंत्र, यज्ञ इनके मूल रहस्य को समझना प्रथम कर्तव्य हे |
* बड़े बड़े यज्ञो से देश में सुख, शांति, प्रेम, सदभाव और ज्ञान की प्राप्ति होती हे , सभी वर्ग से निवेदन हे . हमारे संस्कारो को लुप्त होने से बचाये |
* पाश्चात्य धारा (विदेशीधारा) हिन्दू धर्म संस्कृति को नष्ट कर रही हे . इसलिए सभी लोग अपने अपने परिवार एवं बच्चो को अच्छे संस्कार दे |