भूमि, मकान, बंगलो, दूकान, ऑफिस, फैक्ट्री, रेजीडेंसी, कोमर्सिअल वास्तु ज्ञान हेतु संपर्क करे I भूमि पूजन, वास्तु पूजा, शांति एवं दोष निवारण बताया जाता है I
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वास्तु का मानव स्वास्थ से गहरा संबंध है I इसी तथ्य को उजागर करने के उद्देश्य से वास्तु ज्योतिष पंचांग पत्रिका प्रकाशित की जाती है I वैदिक दर्शन मे (यथा पिण्डे तथा ब्रह्मांडे) सिद्धांत की मान्यता है I इस सिद्धांत के अनुसार शौर जगत में मानव जीवन में सुख दुःख, लाभ हानि, जय पराजय, नौ ग्रह एवं वास्तु के अनुसार ही होते है I
आलकल विशेषकर महानगरों में भवन बनाते समय एक ही बात का ध्यान होता है की वैसे ज्यादा से ज्यादा जगह को प्रयोग किया जाए ताकि भवन की कीमत अधिक हो जाए I अक्सर मकान, ऑफिस, फैक्ट्री, वास्तु परक न हो गए है जिससे आज का मानव सभी सुख सुविधाओं के होते हुए भी बीमारियाँ और मानसिक परेशानियाँ से घिरा हुआ है I हमने प्रयास किया है की वास्तु - शास्त्र के नियमों को हमारे पाठक अपनाये पर प्रकृति के अनुकूल स्वस्थ जीवन जिए I ऐसी हमारी समस्त विश्व के लिए अभिलाषा है और अपने इस प्रयास में सतत प्रयासरत रहेंगे I
कोनसी दिशा में क्या होना चाहिए
शास्त्र वास्तु शांति कैसे कर
पूजा घर कौनसी दिशा में होना चाहिए
कौनसी दिशा में सर रख कर सोये
हॉटेल की रचना कैसे करे
खिड़कियों का सम्बंध कैसा हो
प्रवेश द्वार किधर कैसा हो
घर में क्या नहीं रखना चाहिए
कॅश बॉक्स किधर कैसा हो
घर में किस प्रकार के पौधे लगाए
घर में रसोई, बेडरुम, टॉयलेट किधर हो
घर का वातावरण आनंदी रखने का उपाय
व्यापारी बैठक कैसे किधर होनी चाहिए
किराये दार वास्तु दोष से कैसे मुक्ति पाए
वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन में किस दिशा में कौन सा कक्ष बनवाना चाहिए इसका संक्षिप्त विवरण आगे दिया जा रहा है I
पूर्व दिशा
स्थानपर
पूर्व दक्षिण दिशा
रसोई घर
दक्षिण दिशा
शयनकक्ष
दक्षिण पश्चिम दिशा
शस्त्रागार, वस्त्र आदि रखने का स्थान, शौचालय, पिता का कमरा
पश्चिम दिशा
भोजन करने का कमरा
उत्तर पश्चिम दिशा
अन्न कोषागार, पशुगृह, शौचालय, अध्ययन कक्ष
उत्तर दिशा
देवपूजन ग्रह, भण्डार, जल रखने का स्थान, धन-संग्रह अथवा तिजोरी आदि
शयनकक्ष तहखाना पूर्व दिशा, उत्तर दिशा अथवा उत्तर पूर्व दिशा में बनाना चाहिए I
घर में प्रकाश फैलाने वाले विध्युत उपकरणों जैसे बल्ब, ट्यूब लाईट आदि का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की और रखना चाहिए I
घर का मुख्यद्वार पूर्व या उत्तर दिशा की और बनाना चाहिए I
पूर्वोत्तर दिशा
पूजागृह, जल रखने का स्थान