सादगी, पवित्रता और कोमलता की निशानी माने जाने वाला मोती एक चमत्कारी ज्योतिषीय रत्न माना जाता है। इसे मुक्ता, शीशा रत्न और पर्ल के नाम से भी जाना जाता है। मोती सिर्फ एक रंग का ही नहीं होता बल्कि यह कई अन्य रंगों जैसे गुलाबी, लाल, हल्के पीले रंग का भी पाया जाता है। मोती, समुद्र के भीतर स्थित घोंघे नामक कीट में पाए जाते हैं।
मोती के फायदे :
* मोती धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जो जातक मानसिक तनाव से जूझ रहें हों उन्हें मोती को धारण कर लेना चाहिए।
* जिन लोगों को अपनी राशि ना पता हो या कुंडली ना हो, वह भी मोती धारण कर सकते हैं।
* स्वास्थ्य में मोती का लाभ , मानसिक शांति, अनिद्रा आदि की पीड़ा में मोती बेहद लाभदायक माना जाता है।
* नेत्र रोग तथा गर्भाशय जैसे समस्या से बचने के लिए मोती धारण किया जाता है।
* मोती, हृदय संबंधित रोगों के लिए भी अच्छा माना जाता है।
मोती के उपरत्न
मान्यता है कि मोती नहीं खरीद पाने की स्थिति में जातक मूनस्टोन, सफेद मूंगा या ओपल भी पहन सकते हैं।
नोट: किसी भी रत्न को धारण करने से पहले रत्न ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
लाल रंग के मूंगा रत्न को मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। ज्योतिषी मानते हैं कि इसे धारण करने से मंगल ग्रह की पीड़ा शांत होती है। इस रत्न को भौम रत्न, पोला, मिरजान, लता मणि, कोरल, प्रवाल के नाम से भी जाना जाता है। मूंगा रत्न ज्यादातर लाल रंग का होता है परंतु यह गहरे लाल, सिंदूरी लाल, नारंगी आदि रंग के भी पाए जाते हैं।
मूंगा के फायदे :
* मूंगा धारण करने से नज़र नहीं लगती है और भूत-प्रेत का डर नहीं रहता है।
* आत्मविश्वास तथा सकारात्मक सोच में वृद्धि होती
* आकर्षण शक्ति बढ़ती है तथा लोगों का देखने का नजरिया बदलता है।
* मूंगा को पहनने से क्रूर तथा जलन का नाश हो जाता है।
* जो जातक हृदय रोगों से ग्रस्त हैं उन्हें मूंगा धारण करना चाहिए।
* मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए यह रत्न उत्तम साबित माना गया है।
मूंगा का उपरत्न :
मूंगा के स्थान पर लाल हकीक, तामड़ा या संग-सितारा (Sang-Sitara) धारण किया जा सकता है।
पन्ना रत्न गहरे हरे रंग का होता है। बुध ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे मरकत मणि, हरितमणि, एमराल्ड (Emerald ), पांचू आदि नामों से जाना जाता है। हीरा और नीलम के बाद इसे तीसरा सबसे खूबसूरत रत्न कहा जाता है। पन्ना (Emerald or Panna) बेहद कीमती होता है।
पन्ना के फायदे :
* गुस्से पर काबू करने और मन में एकाग्रता बढ़ाने के लिए पन्ना का प्रयोग करना चाहिए।
* जो जातक व्यापार तथा अंकशास्त्र संबंधित कार्य कर रहें हों उनके लिए पन्ना लाभकारी साबित होता है।
* माना जाता है कि पन्ना पौरुष शक्ति को बढ़ाता है।
* यह रत्न दमा के मरीजों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए अत्याधिक लाभकारी माना गया है।
* मिर्गी के दौरे से पीड़ित रोगियों के लिए भी पन्ना लाभकारी माना जाता है।
पन्ना का उपरत्न :
पन्ना बेहद कीमती माना जाता है। शुद्ध पन्ना ना मिल पाने की दशा में जेड (हरिताश्म) या फिरोजा धारण किया जा सकता है।
पुखराज पीले रंग का एक बेहद खूबसूरत रत्न है। इसे बृहस्पति ग्रह का रत्न माना जाता है। पुखराज की गुणवत्ता आकार, रंग तथा शुद्धता के आधार पर तय की जाती है। पुखराज (Pukhraj or Yellow Sapphire) तकरीबन हर रंग में मौजूद होते हैं, लेकिन जातकों को अपनी राशि के अनुसार इन पुखराज को धारण करना चाहिए।
पुखराज के फायदे :
* पुखराज धारण करने से मान सम्मान तथा धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
* इस रत्न से जातकों के मन में धार्मिकता तथा सामाजिक कार्य में रुचि होने लगती है।
* विवाह में आती रुकावटें तथा व्यापार में होता नुकसान से बचने के लिए भी पीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
* ज्योतिषी मानते हैं कि जिन जातकों को सीने की दर्द, श्वास, गला आदि रोगों से परेशानी है तो उन्हें पुखराज धारण करना चाहिए।
पुखराज का उपरत्न :
पुखराज के स्थान पर रत्न ज्योतिषी धिया, सुनैला, सुनहला या पीला हकीक पहनने की भी सलाह देते हैं।
रत्न ज्योतिष अनुसार बेदाग स्वच्छ हीरा शुक्र की पीड़ा शांत करता है। मान्यता है कि जो हीरा सभी गुणों से संपन्न हो और जल में डालने पर तैरता है वह सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ होता है।
राशि रत्न :
वृषभ तथा तुला राशि के जातकों के लिए हीरा धारण करना अच्छा माना जाता है।
हीरे के फायदे :
जो जातक व्यापार, फिल्म उद्योग तथा कला क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो वे हीरा धारण कर सकते हैं।
* संबंधों में मधुरता के लिए विशेषकर प्रेम संबंधों को हीरा बढ़ाता है।
* शिक्षा संबंधित परेशानी या विवाह में आती रुकावट हो तो हीरा का धारण करना लाभकारी साबित हो सकता है।
हीरे के अन्य उपरत्न :
हीरा एक बेहद महंगा रत्न माना जाता है। अगर जातक हीरा ना खरीद पाए तो इसके स्थान पर जरकन, फिरोजा, ओपल या कुरंगी जैसे रत्न भी धारण कर सकता है। यह सभी उपरत्न भी हीरे के समान ही फल देते हैं।
शनि ग्रह के बुरे प्रभाव और पीड़ा शांत करने के लिए नीलम या नीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। नीलम को हीरे के बाद दूसरा सबसे सुंदर रत्न माना जाता है। इसे नीलमणि, सेफायर, इंद्र नीलमणि, याकूत, नीलम, कबूद भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह रत्न रंक को राजा और राजा को रंक बना सकता है।
नीला पुखराज के फायदे :
* नीला पुखराज धारण करने से मन अशांत नहीं होता है।
* माना जाता है कि नीलम धारण करने से ज्ञान तथा धैर्य की वृद्धि होती है।
* नीलम वाणी में मिठास, अनुशासन तथा विनम्रता पैदा करता है।
* राजनेताओं और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए नीलम लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने से नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
* माना जाता है कि जो जातक तनाव तथा चिंताओं से घिरे हों उन्हें नीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।
नीलम के उपरत्न :
नीलम बेहद कीमती और कम पाया जाने वाला रत्न है। इसके उपलब्ध ना होने की दशा में एमेथिस्ट, ब्लैकस्टार, या ब्लू टोपाज धारण किया जा सकता है।
गोमेद एक रत्न है जिसे राहु ग्रह से समबन्धित किसी भी विषय के लिए धारण करने हेतु ज्योतिषशास्त्री परामर्श देते हैं. गोमेद न सिर्फ राहु ग्रह की बाधाओं को दूर करता है बल्कि, गोमेद कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से भी निजात दिलाता है गोमेद एक ऐसा रत्न है जो नज़र की बाधाओं से भी सुरक्षा प्रदान करता है.
गोमेद के फायदे :
* गोमेद पहनने से राहु का अशुभ प्रभाव दूर होता है. कालसर्प दोष के कष्टों से भी बचाव होता है.
* जिन लोगों की सेहत अक्सर खराब रहती है उन्हें भी गोमेद पहनने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
* पेट की खराबी में गोमद का भस्म काफी फायदेमंद होता है. राहु तीव्र फल देने वाला ग्रह है.
* गोमेद पहनने से राहु से मिलने वाले शुभ फलों में तेजी आती है.
गोमेद धारण करने का समय :
कोई भी रत्न तब अधिक शुभ फल देता है जब वह शुभ समय में धारण किया जाता है. गोमेद रत्न धारण करने का शुभ और उचित समय तब माना जाता है जब राहु की महादशा अथवा दशा चल रही हो.
लहसुनिया को केतु ग्रह का रत्न माना जाता है। इसे वैदूर्य मणि, सूत्र मणि, केतु रत्न, कैट्स आई, विडालाक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस रत्न का रंग हल्का पीला होता है। यह रत्न दिखने में थोड़ा-सा बिल्ली की आंख जैसा भी प्रतीत होता है।
लहसुनिया के ज्योतिषीय फायदे :
* माना जाता है कि लहसुनिया धारण करने से दुख:-दरिद्रता समाप्त हो जाता है। यह रत्न भूत बाधा तथा काले जादू से दूर रखने में सहायक माना जाता है।
* ज्योतिषी मानते हैं कि लहसुनिया के धारण करने से रात में बुरे सपने परेशान नहीं करते हैं।
कैसे करें लहसुनिया धारण :
सोने या चांदी की अंगूठी में लहसुनिया जड़ाकर सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। चूंकि यह एक बेहद प्रभावशाली रत्न होता है इसलिए इसे धारण करने से पहले ज्योतिषी से सलाह परामर्श कर लेना चाहिए।
लहसुनिया का उपरत्न :
लहसुनिया के स्थान पर कैट्स आई क्वार्ट्ज़ तथा एलेग्जण्ड्राइट धारण किया जा सकता है।