पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है. देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियमित रूप से बजाते हैं. ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है. दरअसल, सनातन धर्म की कई ऐसी बातें हैं, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि कई दूसरे तरह से भी फायदेमंद हैं.
* ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है. शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है.
* शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते हैं.
* पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है. जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं. अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है.
* शंख के जल से शिव, लक्ष्मी आदि का अभिषेक करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है.
गोमुखी शंख की उत्पत्ति सतयुग में समुद्र मंथन के समय हुआ। जब 14 प्रकार के अनमोल रत्नों का प्रादुर्भाव हुआ तब लक्ष्मी के पश्चात् शंखकल्प का जन्म हुआ। उसी क्रम में गोमुखी कामधेनु शंख का जन्म माना गया है। पौराणिक ग्रंथों एवं शंखकल्प संहिता के अनुसार कामधेनु शंख संसार में मनोकामनापूर्ति के लिए ही प्रकट हुआ है।
* गोमुखी शंख श्रीलंका और आस्ट्रेलिया के समुद्रों में अधिक होती है। यह शंख कामधेनु गाय के मुख जैसी रूपाकृति का होने से इसे गोमुखी शंख के नाम से जाना जाता है। पौराणिक शास्त्रों में इसका नाम कामधेनु गोमुखी शंख है।
* इस शंख को कल्पना पूरी करने वाला कहा गया है। कलियुग में मानव की मनोकामनापूर्ति का एक मात्र साधन है। यह शंख वैसे बहुत दुर्लभ है। इसका आकार कामधेनु के मुख जैसा है।
* साधक यह साधना कर अपार लक्ष्मी प्राप्ति कर सकता है। - शंकराचार्य अपने समय के अद्वितीय विद्वान हैं। उनके गुरु ने कहा शंकर जब तक तुम लक्ष्मी की आराधना और साधना सिद्धि कामधेनु शंख के द्वारा नहीं कर लेते तब तक जीवन में पूर्णता संभव ही नहीं है।
* इसलिए प्राचीनकाल में देवी-देवता व ऋषि-महर्षि आयुध के रूप में इसे साथ रखते थे। इसकी महिमा अनुभव से ही सिद्ध हो सकती है। इसका रोजाना दर्शन करने मात्र से ही मोक्ष प्राप्त होता है।
हिंदू विश्वासों के अनुसार मोतीशंख बहुत शुभ कंच है और माना जाता है कि यह चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह घर पर रखने के लिए बहुत भाग्यशाली माना जाता है और लगभग कुछ वैदिक पूजा के लिए उपयुक्त है। जो कोई इस शंख से पूजा करता है, वह देवताओं का आशीर्वाद दूसरों की तुलना में बहुत अधिक है।
* यदि मोती शंख को कारखाने में स्थापित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है।
* यदि मोती शंख को मंत्र सिद्ध व प्राण-प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाए तो उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।
* मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज 'ॐ श्री महालक्ष्मै नम:' 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।
* यदि व्यापार में घाटा हो रहा है, दुकान से आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाए तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।
भगवान विष्णु के चार हाथ भक्तों के बीच परिकल्पित है। दो हाथों में चक्र व गदा होते हैं। ये आयुध है। एक चक्र अस्त्र है जिसे दूरस्थ शत्रु पर प्रहार के लिए उपयोग किया जाता है। गदा शस्त्र है जो निकटस्थ शत्रु को मारने के लिए उपयोग में आती है।
* शंख और पद्म सामान्य शंख और कमल की भांति नहीं है। ये सभी प्रतीक हैं। याद करें बचपन में हम पहाड़ों की किताब में एक गणना पढ़ते थे। यह थी ईकाई दहाई, सैकड़ा, हजार, दस हजार, लाख, दस लाख, करोड़, दस करोड़, अरब, दस अरब, खरब, दस खरब, नील, दस नील, पद्म, दस पद्म, शंख, दस शंख।
* भगवान के हाथ में जो पद्म और शंख हैं वे इसी गणना का प्रतीक है यानी भगवान के पास अरबों का धन है। तभी वो हमें देते हैं। इस अर्थ में भगवान खूब धनी है।
* कहा जाता है करीब दो हजार साल पहले संपन्न घरों में शंख या पद्म के चिन्ह मुख्य द्वार प्रतीक स्वरूप अंकित किए जाते थे। इसका आशय यह होता था कि फलां ग्रह स्वामी कितना संपन्न है। यदि शंख अंकित हो, यानी शंख जितनी राशि है। पद्म अंकित हो, तो पद्म जितनी।
शास्त्रों के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख का हिंदु पूजा पद्धती में महत्वपूर्ण स्थान है दक्षिणावर्ती शंख देवी लक्ष्मी के स्वरुप को दर्शाता है. दक्षिणावर्ती शंख ऎश्वर्य एवं समृद्धि का प्रतीक है. इस शंख का पूजन एवं ध्यान व्यक्ति को धन संपदा से संपन्न बनाता है. व्यवसाय में सफलता दिलाता है.
दक्षिणावर्ती शंख लाभ :
* दक्षिणावर्ती शंख को शुभ फलदायी है यह बहुत पवित्र, विष्णु-प्रिय और लक्ष्मी सहोदर माना जाता है, मान्यता अनुसार यदि घर में दक्षिणावर्ती शंख रहता है तो श्री-समृद्धि सदैव बनी रहती है.
* इस शंख को घर पर रखने से दुस्वप्नों से मुक्ति मिलती है. इस शंख को व्यापार स्थल पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है. पारिवारिक वातावरण शांत बनता है.
“ऊँ ह्रीं श्रीं नम: श्रीधरकरस्थाय पयोनिधिजातायं
लक्ष्मीसहोदराय फलप्रदाय फलप्रदाय
श्री दक्षिणावर्त्त शंखाय श्रीं ह्रीं नम:।”
मंत्र का जाप करना चाहिए. यह शंख दरिद्रता से मुक्ति, यश और कीर्ति वृद्धि, संतान प्राप्ति तथा शत्रु भय से मुक्ति प्रदान करता है.
हत्था जोड़ी एक वनस्पति है. एक विशेष जाती का पौधे की जड़ खोदने पर उसमे मानव भुजा जैसी दो शाखाये दिख पड़ती है, इसके सिरे पर पंजा जैसा बना होता है. उंगलियों के रूप में उस पंजे की आकृति ठीक इस तरह की होती है जैसे कोई मुट्ठी बंधे हो. जड़ निकलकर उसकी दोनों शाखाओ को मोड़कर परस्पर मिला देने से कर बढ़ता की स्थिथि आती है, यही हत्था जोड़ी है.
* हत्था जोड़ी यह बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है यह एक जंगली पौधे की जड़ होती है मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता, व दुर्लभ आदि के निवारण में इसके जैसी चमत्कारी वस्तु आज तक देखने में नही आई इसमें वशीकरण को भी अदुभूत टकक्ति है.
* हत्था जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात चामुंडा देवी का प्रतिरूप है. यह जिसके पास भी होगा वह अद्भुत रुप से प्रभावशाली होगा. सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा में अत्यंत गुणकारी होता है.
* होली के पूर्व इसको प्राप्त कर स्नान कराकर पूजा करें तत्पश्चात तिल्ली के तेल में डूबोकर रख दें। दो हफ्ते पश्चात निकालकर गायत्री मंत्र से पूजने के बाद इलायची तथा तुलसी के पत्तों के साथ एक चांदी की डिब्बी में रख दें। इससे धन लाभ होता है।
हाथा जोड़ी को इस मंत्र से सिद्ध करें :
ऊँ किलि किलि स्वाहा।
सियार सिंघी बहुत ही चमत्कारी होती है , इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है ! वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है , यदि इसे सिद्ध कर लिया जाए तो यह शक्ति कई गुना बढ़ जाती है ! इसके द्वारा आप किसी से भी अपना मनोवांछित काम करवा सकते है ! इसे सिद्ध किया जाए तो इसका चमत्कार बड़ी जल्दी नज़र आता है !
सियार सिंगी के कार्य/लाभ :
* इछचाये अपने आप पूरी हो जाती है, सियार सिंघी व्यापार या नौकरी में उनती के लिए बहुत लाभदायक है !
* कई बार इर्षा के कारण कुछ लोग तंत्र प्रयोग कर देते हैं जिससे दूकान में ग्राहक नहीं आते यां कार्य सफल नहीं होते. ऐसे में सियार सिंघी के साथ शेखबाधा जरूर रखे इन परस्थितियों में इनका प्रयोग राम बाण की तरह है !
* जिस व्यक्ति के पास यह होती है, उसे किसी बात कि कमी नहीं होती इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है !
एकाक्षी नारियल (जिसके मुंह पर सिर्फ एक काला निशान हो) की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है जिसके कारण इंसान को कभी भी पैसे का अभाव नहीं होता है। नारियल के ऊपर हमेशा तिलक करके ही आप अपने घर से निकलें, आपका हर काम पूरा होगा।
* एकाक्षी नारियल में काफी दिव्य शक्ति होती है जिसकी वजह से घर पर कभी भी किसी बुरी आत्मा का प्रवेश नहीं होता है। एकाक्षी नारियल के मुंह पर छेद करके अगर घी भर देंगे और उसके बाद उसको अग्नि में डाल देंगे तो आपकी हर इच्छा पूरी हो जायेगी।
* नारियल का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा है, कहते हैं इसे दिव्य वरदान प्राप्त है, जो हर तरह से जातक की मदद करता है।
* नारियल का पानी हर शनिवार को किसी पक्षी या पशु को नियमित रूप से पिलाने पर आपको मनचाहा घर या भूमि का लाभ मिलता है।
* नारियल के टुकड़े को घर के अलग-अलग कोनों में रखने पर पति-पत्नी के बीच झगड़े कम होते हैं, घर में प्रेम का अंकुर फूटता है।
बिल्ली प्रसव के समय एक प्रकार की थैली त्यागती है। जिसे आंवल या जेर कहते हैं। प्रायः सभी पशुओं के शरीर से प्रसव के समय आंवल निकलता है। बिल्ली अपना आंवल तुरंत खा जाती है। पालतू बिल्ली का आंवल किसी कपड़े से ढक कर प्राप्त कर लिया जाए तो इसका तांत्रिक प्रभाव धन-धान्य में वृद्धि करता है।
* कुत्ते की तरह बिल्ली की छठी इन्द्री काफी विकसित होती है इसलिए यह भविष्य में होने वाली घटनाओं को पहले जान लेती है।
* तंत्र विज्ञान में बिल्ली को महत्वपूर्ण जीव माना गया है। माना जाता है कि बिल्ली अगर घर में आकर रोने लगे तो कोई अनहोनी घटना हो सकती है। बिल्लियों का आपस में लड़ना धन हानि एवं किसी से लड़ाई का संकेत होता है।
* ग्रह दोषों से रक्षा करती बिल्ली की नाल/ जेर :
ज्योतिषशास्त्र में बिल्ली को राहु की सवारी कहा गया है। जिनकी कुण्डली में राहु शुभ नहीं है उन्हें राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए बिल्ली पालना चाहिए। लाल किताब के टोटके के अनुसार बिल्ली की जेर को लाल कपड़े में लपेटकर बाजू पर बांधने से कालसर्प दोष से बचाव होता। ऊपरी चक्कर, नज़र दोष, प्रेत बाधा इन सभी में बिल्ली की जेर बांधने से लाभ मिलता है।
पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं। नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिंग से प्राप्त होती है। पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
* पारे के बारे में तो प्राय: आप सभी जानते होंगे कि पारा ही एकमात्र ऐसी धातु है, जो सामान्य स्थिति में भी द्रव रूप में रहता है। मानव शरीर के ताप को नापने के यंत्र तापमापी अर्थात थर्मामीटर में जो चमकता हुआ पदार्थ दिखाई देता है, वही पारा धातु होता है।
* पारद शिवलिंग इसी पारे से निर्मित होते हैं। पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित किया जाता है जिससे वह ठोस बन जाता है फिर तत्काल उसके शिवलिंग बना लिए जाते हैं।
* पारद शिवलिंग बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं। पारद शिवलिंग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों में किया गया है।
श्वेतार्क गणपति पृथ्वी पर सबसे शुद्ध और सबसे दुर्लभ पवित्र वस्तुओं में से एक माना जाता है। श्वेतार्क गणपति को संस्कृत भाषा में आर्क गनेहा भी कहा जाता है। आर्क गणेश या श्वेतक गणेश एक वृक्ष (आक) की जड़ से प्राप्त होता है जो स्वाभाविक रूप से भगवान गणेश के वास्तविक स्वरूप को लेता है।
श्वेतार्क गणपति के लाभ :
* शास्त्र और पुराण में यह लिखा गया है कि, एक श्वेतक गणपति प्रस्तुत करने वाला एक घर, सदैव किसी भी बुरी और बुरे प्रभाव को दूर करने में शक्तिशाली होता है और कैदी को विशाल धन और समृद्धि के साथ आशीष दी जाती है !
* यह शक्ति, जीवन शक्ति और उत्साह को बढ़ाता है, आध्यात्मिकता को प्राप्त करने में मदद करता है, भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद, ज्ञान समृद्धि और विकास को बढ़ाता है !
* एकाग्रता की शक्ति, नौकरी में पदोन्नति और व्यापार में वृद्धि, विवाहित जीवन में सामंजस्य रखता है, बीमारी को दूर करने में सहायक होता है और रोगों, कठिनाई या अपर्याप्त से छुटकारा दिलाता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करता है।
काली हल्दी बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किन्तु फिर भी यह पन्सारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।
* यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
* यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार उपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें।
* किसी की जन्मपत्रिका में गुरू और शनि पीडि़त है, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।
* यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा।
अंगूठी या लटकन नवरत्न आभूषण पहने हुए नवरत्न आभूषण इसकी स्टाइलिश दिखने और ज्योतिषीय लाभ के कारण अधिक से अधिक प्रसिद्ध हो रहे हैं। ज्योतिषीय उपचार पहनते समय या तो रत्न का आभूषण उनके राशि चक्र या कुंडली पर आधारित या नवरात्न या नवग्रह आभूषण पहन सकते हैं, जिसमें 9 सभी 9 ग्रहों का प्रतिनिधित्व करने वाले पत्थर हैं।
* नवरात्न वैदिक ज्योतिष में उपयोग किए गए नौ ग्रहों से संबंधित 9 रत्न शामिल हैं। शब्द का अर्थ 'नौ' और 'रत्न' का अर्थ संस्कृत भाषा में 'मणि' है। नवरात्रस को शुभ माना जाता है और माना जाता है कि वे अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि, खुशी और शांति की शांति देते हैं।
* यह ग्रहों के नकारात्मक ऊर्जा या हानिकारक प्रभाव को बंद करता है और रत्नों के सकारात्मक प्रभाव को मजबूत करता है। हारों, अंगूठियां, कंगन, पायल, पेंडेंट, चूड़ियां, आर्मलेट और अन्य ट्रिंकस सहित सभी तरह के नवरत्न गहने बेहद लोकप्रिय हैं।
* 9 ग्रहों के लिए अनमोल रत्न शामिल हैं रत्न पत्थरों और उनके ग्रहों का प्रतिनिधित्व :
रूबी (मानिककम या मानके): सूर्य, पर्ल (मोती): चंद्रमा, लाल कोरल (मोंगा): मंगल,
एमरल्ड (मारकटाम या पन्ना): बुध, पीला नीलम (पुखराज): बृहस्पति,
डायमंड (हीरा या वैराम): वीनस, ब्लू नीलम (नीलम): शनि, हेसनोनीट (गोमेड): राहु, आरोही चंद्र नोड,
बिल्ली की आंख (वैद्यम्यम): केतु, अवरोही चंद्र नोड.