हिन्दू धर्म के अनुसार लक्ष्मीजी को धन व वैभव की प्रतीक (देवी) माना गया है, तथा कुबेर भगवान को माता लक्ष्मी के खजाने का द्वारपाल (रक्षक)। कुबेर भगवान की पूजा का सबसे सरल उपाय कुबेर यंत्र (Kuber Yantra) को स्थापित कर, उसकी पूजा करना है।
कुबेर यंत्र के प्रभाव :
* कुबेर यंत्र सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है, जिसका स्वामी गुरु (बृहस्पति) है। कुबेर यंत्र को घर या कार्यालय में स्थापित करने से भाग्य वृद्धि होती है। कुबेर यंत्र कई कारणों से बेहद उपयोगी माना जाता है। जानकार मानते हैं कि:
* स्वर्ण व रजत पत्रों पर निर्मित कुबेर यंत्र, स्वास्थ के लिए सबसे अधिक प्रभावी होता है। सोने व चाँदी के पत्रों की जगह, भोजपत्र पर बना कुबेर यंत्र भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
कुबेर यंत्र का मंत्र :
* कुबेर यंत्र की स्थापना के लिए ‘ऊँ वैश्रवणाय स्वाहा’ या ‘ऊँ कुबेराय नमः’ मंत्र का दस हजार या सवालाख जाप करना शुभ माना जाता है।
नोट: कुबेर यंत्र शुद्धि और सिद्ध किए बिना प्रभावहीन बताया गया है. यह कार्य अगर एक सुयोग्य पंडित से कराएं तो बेहतर है.
हम सभी जीवन में आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं। धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में वर्णित कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करते हैं। इस यंत्र की विशेषता भी यही है कि यह किसी भी प्रकार की विशेष माला, जाप, पूजन, विधि-विधान की मांग नहीं करता बल्कि सिर्फ दिन में एक बार इसको पढ़ना पर्याप्त है।
* साथ ही प्रतिदिन इसके सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक है। अगर किसी दिन यह भी भूल जाएं तो बाधा नहीं आती क्योंकि यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है।
* यहां प्रस्तुत है कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ एवं हिन्दी अनुवाद। आपको सिर्फ कनकधारा यंत्र कहीं से लाकर पूजा घर में रखना है। यह किसी भी तंत्र-मंत्र संबंधी सामग्री की दुकान पर आसानी से उपलब्ध है।
* मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए जितने भी यंत्र हैं, उनमें कनकधारा यंत्र तथा स्तोत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली एवं अतिशीघ्र फलदायी है। हम सभी जीवन में आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं।
विशेष : अपार धन प्राप्ति और धन संचय के लिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से चमत्कारिक रूप से लाभ प्राप्त होता है।
कुंडली में मांगलिक दोष होने की वजह से अकसर लोगों की शादी-ब्याह, संतान प्राप्ति आदि में समस्याएं आती हैं। इस दोष से बचने के यूं तो कई उपाय है लेकिन सबसे बेहतरीन उपाय मंगल यंत्र की स्थापना और पूजा को माना गया है।
मंगल यंत्र का उपयोग :
* मान्यता है कि अगर कुंडली में मंगल अशुभ हो तो उसे भी मंगल यंत्र की पूजा द्वारा सही किया जा सकता है।
* मंगल यंत्र को लाल वस्त्र अथवा ताम्रपत्र या भोजपत्र पर लाल स्याही से बनाना बेहद शुभ माना जाता है। मांगलिक दोष निवारण के लिए इस यंत्र के साथ हनुमान जी की पूजा करना परमावश्यक है।
मंगल यंत्र की स्थापना व प्रभाव :
* मंगल यंत्र को शुद्धिपूर्वक व विशेष पूजन विधि द्वारा स्थापित किया जाता है। इस यंत्र की स्थापना करने से पहले किसी अच्छे पंडित या ज्योतिष से सलाह जरूर लें।
* मंगल यंत्र का पूजन करने से आर्थिक, शारीरिक व बौद्धिक विकास होता है। रक्त संबंधी बीमारियां खत्म हो होती हैं, तथा जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
आधुनिकता के इस दौर में तमाम चिकित्सीय पद्धतियां होने के बावजूद भी विज्ञान कई निःसंतान दंपत्तियों की मदद नहीं कर पाता, लेकिन भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार संतान गोपाल यंत्र की पूजा करने से ऐसे दंपत्तियों को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। इस यंत्र के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल गोपाल की मूर्ति या तस्वीर की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए।
* संतान गोपाल यंत्र का उपयोग :
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
* संतान गोपाल मंत्र की 55 माला या यथाशक्ति जप और गोपाल संतान यंत्र की पूजा का एक माह में चमत्कारिक फल मिलता हैं। इस यंत्र की पूजा के साथ भगवान विष्णु को दूर्वा यानि ताजा घास और मोदक या दही- मक्खन का भोग अवश्य लगाएं।
* संतान गोपाल यंत्र की स्थापना व प्रभाव :
संतान गोपाल यंत्र की पूजा करने से वैवाहिक जीवन बेहद सुखद होता है। यह यंत्र आपके सपनों को पूर्ण करता है, जिससे सम्पूर्ण जीवन उल्लास से भर जाता है। संतान गोपाल यंत्र का लाभ उठाने के लिए सुयोग्य ज्योतिष व पंडित से सलाह लेकर, शुद्धिपूर्वक स्थापना करनी चाहिए। इस यंत्र की स्थापना विशेष पूजन द्वारा की जाती है।
यंत्र दिशानिर्देश आप इसे अपने घर / कार्यालय के पूर्वोत्तर क्षेत्र में पूजा की वेदी में रख सकते हैं या दीवार पर लटका रह सकते हैं, जिसकी तरफ पश्चिम दिशा का सामना करना पड़ता है.
* या लाल कपड़े में लपेटते हैं और इसे आपके साथ ले जाते हैं। आप इसे फ्रेम के साथ या बिना इंस्टॉल कर सकते हैं अनुष्ठानिक पूजा अनिवार्य नहीं है और आपके द्वारा अनुपूरित आध्यात्मिक अनुशासन के अनुसार आप पर निर्भर है।
* कई लोगों ने यंत्र की नोक पर ध्यान केंद्रित करके अपनी शक्ति को देखा है। इसे देखकर और अपनी प्रार्थना कहकर उसे पूजा करो। यह आपकी प्रार्थनाओं को उसमें एम्बेडेड मंत्र की शक्ति के माध्यम से प्रकट करता है।
कात्यायनी यंत्र का मंत्र :
ओम आइम हरेम क्लेम आम काम कैटीयनिया नमाः |
माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं. यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी यंत्र धार्मिक कार्यो में शुभ माना जाता है. धर्मशास्त्रो के अनुसार बगलामुखी यंत्र तत्काल लाभ देने वाला होता है, यह यंत्र स्तम्भन करने हेतु उपयोग में लाया जाता है.
* यह यंत्र मनोवांछित फल देने वाला होता है यह मान्यता है कि बगलामुखी यंत्र व्यक्ति को परेशानियों से निवारण तथा जन्म और मृत्यु के चक्र से निकाल कर मुक्त भी करता है.
बगलामुखी यंत्र लाभ :
* बगलामुखी महायंत्र की शक्ति का उपयोग शत्रु को परास्त और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. बगलामुखी यंत्र विजय प्राप्त करने,कानूनी कार्यवाही, कोर्ट कचहरी और मुकद्दमों में सफलता पाने के लिए किया जाता है.
* बगलामुखी की साधना में नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है. बगलामुखी साधना के लिए सूर्य मकर राशिस्थ हो, मंगलवार को चतुर्दशी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
बगलामुखी यंत्र पूजा :
* बगलामुखी यंत्र को उपयोग में लाने से पूर्व इसे पंचामृत से स्नान कराया जाना चाहिए. मंदिर में स्थापित कर अष्ठसुगंध या कुन्दा फूल, नारियल, अक्षत हल्दी इत्यादि से पूजा करनी चाहिए.
* इसकी पूजा में उचित मंत्र जप करना चाहिए तथा यंत्र को अभिमंत्रित किया जाना चाहिए क्योंकि इस प्रक्रिया से यंत्र मे दिव्य शक्ति का संचार होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का जाप अकाल मृत्यु के योग को भी दूर कर देता है। भगवान शिव के इस मंत्र को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। सदियों से इस मंत्र का वर्णन अलग-अलग वेदों और पुराणों में किया गया है। मंत्र के साथ कई लोग महामृत्युंजय यंत्र की पूजा भी करते हैं।
महामृत्युंजय यंत्र का उपयोग :
* मृत्युंजय का अर्थ होता है मृत्यु पर विजय। इस यंत्र की पूजा करते समय पूर्व की दिशा में मुख कर कुशा आसान धारण करना चाहिए। इस यंत्र की पूजा और आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना व प्रभाव :
* महामृत्युंजय यंत्र को शुद्धिपूर्वक व विशेष विधि द्वारा स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को स्थापित करने से पूर्व किसी सुयोग्य ज्योतिष व पंडित से सलाह अवश्य लें।
* माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र के साथ महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करने वाले जातक का काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करने से मृत्यु का भय खत्म हो जाता है, तथा गंभीर बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।
भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय माने जाते हैं। भगवान शिव की तरह वह भी भोले हैं, तथा उनकी दया दृष्टि पानाबेहद आसान है। श्री गणेश यंत्र एक ऐसा चमत्कारी यंत्र है, जिसकी सहायता से जातकके जीवन पर सदा गणेश जी की दया दृष्टि बनी रहती है। माना जाता है कि गणेश यंत्र के प्रभाव से जातक के कार्यों में आने वाली बाधाएं स्वयं ही समाप्त हो जातीं हैं।
गणेश यंत्र का उपयोग :
* मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन इस यंत्र की स्थापना करना शुभ होता है। लाल पुष्प (फूल) व मोदक (लड्डू) के भोग से इस यंत्र की प्रतिदिन पूजा करने से जातक के जीवन में खुशियों के द्वार खुल जाते हैं तथा निःसंतान दंपत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।
गणेश यंत्र की स्थापना के लिए मंत्र :
* गणेश यंत्र के बारे में कहा जाता है कि यह मात्र 11 बार ॐ गं गणपतयै नम: बोलने से ही सिद्ध हो जाता है, लेकिन कई जगह वर्णित है कि श्री गणेश यंत्र को कम से कम 11,000 श्री गणेश मंत्रों ("ॐ गं गणपतयै नम:") द्वारा अभिमंत्रित होना चाहिए। इसलिए गणेश यंत्र की स्थापना करते समय किसी सुयोग्य पंडित से सलाह अवश्य लें।
नोट: गणेश यंत्र की स्थापना करते समय किसी सुयोग्य पंडित से सलाह अवश्य लें.
कलियुग में धन सबसे अहम है, लेकिन धन से भी अहम है ‘शिक्षा’। वैदिक शास्त्र माता सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है। सरस्वती जी की कृपा पाने वाले जातक के जीवन में कभी अंधकार नहीं होता। सरस्वती जी की साधना का आसान तरीका सरस्वती यंत्र की पूजा है।
सरस्वती यंत्र का उपयोग :
* सरस्वती यंत्र की खासियत यह है कि इसे अपने हाथों से बनाना शुभ होता है। अनार की कलम या अष्टगंध की स्याही से भोजपत्र पर यह यंत्र बना इसकी स्वयं पूजा करने से सर्वाधिक लाभ मिलता है।
* इस यंत्र को वसंत पंचमी के दिन स्थापित किया जाता है। सरस्वती यंत्र की स्थापना करते समयसरस्वती चालीसा व "ऊं ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे: नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए।
सरस्वती यंत्र की स्थापना व प्रभाव :
* सरस्वती देवी मंत्र की स्थापना व पूजन करने से एकाग्रता व बौद्धिक विकास होता है, जिससे मनुष्य सफलता प्राप्त करता है। इस यंत्र की स्थापना शुद्धिपूर्वक, विशेष पूजन-विधि द्वारा की जाती है। इस यंत्र की सिद्धि के लिए ज्योतिष मार्ग दर्शन बहुत जरूरी है।
नोट: मान्यता है कि इस यंत्र का प्रभाव 4 वर्ष 4 माह तक ही रहता है इसलिए निश्चित समय अंतराल पर इसे बदलते रहें। यंत्र की सिद्धि के लिए योग्य पंडित की सलाह अवश्य लें.
* नवरात्र के मौके पर दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष अध्यात्मिक महत्व है। दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों से पहले तीन प्रथम अंगों- कवच, अर्गला और किलक स्तोत्र का भी पाठ किया जाता है। 'कवच' का अर्थ है- सुरक्षा घेरा। मार्कंडेय पुराण के इस दुर्गा कवच में कहा गया है कि इसके पाठ से सभी तरह के रोगों का नाश हो जाता है। नियमित दुर्गा कवच पाठ करने वाले लंबी उम्र पाकर सांसारिक और आध्यात्मिक लाभ हासिल करते हैं।
* प्राचीन भारतीय थेरपी मानती रही है कि अगर मानसिक रूप से हम पॉजिटिव बातें कई बार दोहराएं तो एक निश्चित अंतराल के बाद मस्तिष्क उन बातों को स्वीकार कर लेता है। फिर शरीर के विभिन्न अंगों को मस्तिष्क के हिसाब के खुद को तैयार करना होता है।
* कवच पाठ में हम अपने शरीर की बाहरी-आंतरिक अंगों की रक्षा और स्वस्थ रहने की बात करते हैं। कवच पाठ में एक-एक करके हम उन सभी अंगों का नाम ये श्रद्धा रखते हुए लेते हैं कि देवी दुर्गा उन अंगों को स्वस्थ रखते हुए हमें सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं।
* इस तरह की पॉजिटिव सोच को जब हम किसी भी ईश्वरीय शक्ति से जोड़ते हैं तो वे बातें हमारे मन में और भी ज्यादा मजबूती से जड़ें जमा लेती हैं। योग थेरपी में भी साइकॉलजिकल विजुलाइजेशन की तकनीक अपनाई जाती है। इसे 'भावना' कहते हैं।
मां कालिका का स्वरूप जितना भयावह है उससे कही ज्यादा मनोरम और भक्तों के लिए आनंददायी है। आमतौर पर मां काली की पूजा सन्यासी तथा तांत्रिक किया करते हैं। माना जाता है कि मां काली काल का अतिक्रमण कर मोक्ष देती है।आद्यशक्ति होने के नाते वह अपने भक्त की हर इच्छा पूर्ण करती है।
* तांत्रिक तथा ज्योतिषियों के अनुसार मां काली के कुछ मंत्र ऐसे हैं जिन्हें एक आम व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने संकट दूर करने के लिए प्रयोग कर सकता है। इन्हीं में एक नवार्ण मंत्र है।
* दुर्गासप्तशती के अनुसार नौ अक्षरों से बना यह मंत्र मां के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं तथा इसके प्रत्येक अक्षर एक ग्रह को नियंत्रित करता है। इस तरह नौ अक्षरों से मिलकर बना नवार्ण मंत्र कुंडली के सभी नौ ग्रहों को साधकर व्यक्ति के जीवन से सभी संकटों को दूर करता है।
* मंत्र इस प्रकार है :
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:
कलियुग में एक मात्र हनुमान जी ही जीवित देवता हैं। यह अपने भक्तों और आराधकों पर सदैव कृपालु रहते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं। हनुमान जी की कृपा से ही तुलसीदास जी को भगवान राम के दर्शन हुए थे। शिवाजी महाराज के गुरू समर्थ रामदास के बारे में भी कहा जाता है कि उन्हें हनुमान जी ने दर्शन दिए थे।
* हनुमान जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि जहां कहीं भी रामकथा होती है हनुमान जी वहां किसी न किसी रूप में जरूर मौजूद रहते हैं।
* हनुमान जी की महिमा और भक्तहितकारी स्वभाव को देखते हुए तुलसीदास जी ने हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा लिखा है। इस चालीसा का नियमित पाठ बहुत ही सरल और आसान है, लेकिन इसके लाभ हैं चमत्कारी।
* हनुमान चालीसा में कहा गया है कि हनुमान जी अष्टसिद्घि और नवनिधि के दाता कहा गया। जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उसकी हर मनोकामना हनुमान जी पूरी करते हैं चाहे वह धन संबंधी इच्छा ही क्यों न हो।
* हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने वाले व्यक्ति का मनोबल बढ़ जाता है और उसे किसी भी तरह का भय नहीं रहता है।
घोड़े के पैर के नाखून जिसे खुर कहते है, दौड़ते समय जमीन पर रगड़ा कर ना टूट जाये इसलिए उसे बचाने के लिए घोड़े के खुर में लोहे की नाल को ठोक दिया जाता है । घोड़े के खुर में लगाये जाने वाला नाल “u” shape का होता है। जब ये नाल खुद ब खुद जमीन पर घिसकर टूट जाते है तो घोड़े के खुर में नया नाल लगा दिया जाता है और टूटे हुए नाल का ring या फिर कुछ और use में लाया जाता है ।
ब्लैक हार्स शू रींग का महत्व :
* ब्लैक हार्स शू अँगूठी को आपके घर, कार्यालय या पवित्र परिसर में निलंबित किया जा सकता है या कोई भी इस अंगूठी को पहन सकता है।
* ब्लैक हार्स शू अँगूठी आपके द्वारा घिरी हुई नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर सकती है।
* इसमें शैतान के इरादों को मारने की शक्ति है जो आपके व्यवसाय को नष्ट कर सकती है।
* यह पहनने वाला अपना मन शांत रखने में मदद करता है ताकि वे सही समय पर सही निर्णय ले सकें आधुनिक उत्तरी अमेरिका में, ब्लैक हार्स शू अँगूठी को किस्मत का आकर्षण माना जाता है।